एक ख़्वाहिश ऐसी भी
एक ख़्वाहिश ऐसी भी
अपनी ही धुन में मग्न
बंजारों के संग
बनकर बहती हवा सा
दिल चाहता है
नदी के जल सा
बहता ही जाऊँ मैं।
कभी दिल कहता है
जा सागर से मिल जाऊँ मैं
सच्चे मोती की तलाश में
खुद को पाने की आस में
लहरों पर हो सवार।
दिल चाहता है
समंदर की गहराइयों को
नापू में
कभी दिल कहता है
क्षितिज से जा मिल जाऊँ मैं।
मंजिल को पाने की प्यास में
पंछी बन उड़ जाऊँ मैं
बादलों पर हो सवार
दिल चाहता है सबसे
ऊँचे शिखर पर चढ़ जाऊँ मैं।
कभी दिल कहता है
जीत की पताका लहराऊँ मैं
इतिहास के पन्नों में
अपना भी एक नाम हो।
एक अलग पहचान हो
बनकर हीरे सा निखरूँ मैं
दिल चाहता है इन
सितारों सा चमकूँ मैं
कभी दिल कहता है
उस चाँद तले
अपनी एक दुनिया बसाऊँ मैं।
दिल चाहता है उड़ जाऊँ
सपनों के पंख लगाए
दूर आसमां में
कभी दिल कहता है
कर ले मुझको भी शामिल
इस नील गगन में।