STORYMIRROR

Rashmi Jain

Drama

3  

Rashmi Jain

Drama

एक ख़्वाहिश ऐसी भी

एक ख़्वाहिश ऐसी भी

1 min
296

अपनी ही धुन में मग्न 

बंजारों के संग

बनकर बहती हवा सा

दिल चाहता है

नदी के जल सा

बहता ही जाऊँ मैं।


कभी दिल कहता है

जा सागर से मिल जाऊँ मैं

सच्चे मोती की तलाश में

खुद को पाने की आस में

लहरों पर हो सवार।


दिल चाहता है

समंदर की गहराइयों को

नापू में

कभी दिल कहता है

क्षितिज से जा मिल जाऊँ मैं।


मंजिल को पाने की प्यास में

पंछी बन उड़ जाऊँ मैं

बादलों पर हो सवार

दिल चाहता है सबसे

ऊँचे शिखर पर चढ़ जाऊँ मैं।


कभी दिल कहता है

जीत की पताका लहराऊँ मैं

इतिहास के पन्नों में

अपना भी एक नाम हो।


एक अलग पहचान हो

बनकर हीरे सा निखरूँ मैं

दिल चाहता है इन

सितारों सा चमकूँ मैं

कभी दिल कहता है

उस चाँद तले

अपनी एक दुनिया बसाऊँ मैं।


दिल चाहता है उड़ जाऊँ

सपनों के पंख लगाए

दूर आसमां में 

कभी दिल कहता है

कर ले मुझको भी शामिल

इस नील गगन में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama