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Rashmi Jain

Others

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Rashmi Jain

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ओ मेरे हमसफ़र

ओ मेरे हमसफ़र

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ओ मेरे हमसफ़र

माना बहुत लंबा है यह सफर 

पर साया बन संग चलना यूँ ही 

तो पल में कट जाए यह सफर 


राह में आएँगी मुश्किलें हज़ार 

किस्मत बदलेगी करवटें बार बार 

पर यूँ ही चलना साथ साथ 

डाले हाथों में हाथ 



कभी ग़म का बादल होगा 

कभी छाया अंधेरा गहरा होगा 

कभी तन्हाई का मेला होगा 

कभी मन यह अकेला होगा 



पर प्यार तेरा संग हो तो 

हर तूफ़ान का रुख़ बदल देंगे 

चार कदम जो तू साथ चल दे मेरे 

हर पतझड़ के मौसम को बहारों में बदल देंगे 



बस तू ना कभी मुँह मोड़ना 

बीच राह में कभी दामन ना छोड़ना  

पलकों के आशियाने में सुकून से रहना 

लबों पर हमेशा मुस्कान बन खिले रहना 


 

फ़ासले दरमियाँ कभी बढ़ भी जाए 

ज़िंदगी कभी अगर थोड़ा और

आज़माए घबराना ना तू 

दूरियाँ पल में पिघल जाएगी 

वक्त के साथ प्यार की गहराई भी

थोड़ा और बढ़ जाएगी 


 

ओ मेरे हमसफ़र

माना बहुत लंबा है यह सफर 

पर साया बन संग चलना यूँ ही 

तो पल में कट जाए यह सफर  


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