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Meena Gulyani

Classics

4.3  

Meena Gulyani

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होली

होली

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होली है आई, उड़ा है रंग, 

फागुन है आया लेकर बसंत,

भीगी है चुनर, भीगी है चोली, 

आ आओ खेलें मिलकर सब होली,

नंद गांव से आए सब ग्वाल, 

राधे की सखियां उड़ाए गुलाल,

सब ने ली पिचकारी और घोला है रंग

इक इक पर मारी पिचकारी करा बदरंग, 

कपड़ों संग भीगा है तनमन, 

छुड़ाए ना छूटे पक्का है रंग,

गोपी संग ग्वाल उड़ाए अबीर, 

प्रेम रस से भर आया आँखों में नीर,

छाई है मस्ती छाया उल्लास, 

धरती पर छाया है मधुमास,

धरती ने ओढ़ी है धानी चुनरिया, 

रंगों से सराबोर हुई बनी बावरिया,

कृष्णा ने छेड़ दी बांसुरी की तान,

सुनते ही गोपियां भागी अविराम, 

पटकी पानी की मटकी जल में,

डूबी सभी कान्हा के प्रेम पल में,

बिसरी बातें सब दुनिया भर की,

रम गई, ढल गई प्रीत में उनकी, 

बजने लगे चंग मृदंग चहु ओर,

कान्हा जी आए बनके चित्त चोर ।। 


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