याद आई बेटियाँ
याद आई बेटियाँ
माँ बाप के दिलों में समाई हैं बेटियाँ
हर सुख और दुःख में याद आई हैं बेटियाँ।
बेटी के आगमन से घर का खिला हर कोना
हर माँ का पूरा हुआ सपना वो इक सलोना।
छोटी थी तो अंगुली पकड़कर माँ बाप ने सिखाया
स्कूल से कालेज की शिक्षा तक भी उसे पहुँचाया।
अब समझदार होते ही उसने संभाला चूल्हा चौका
माँ को मिला सहारा किसी ने भी न उसको टोका।
अपनी सयानी बेटी को माँ बाप ने डोली में था बिठाया
इक अजनबी के हाथों सौंपा कर दिया उसे पराया।
पर दिल उस बेटी का तो माँ बाप के यहां था
उसकी यादों का भोला बचपन भी यहीं था।
जब भी सुनी खबर कोई पीहर के सुख दुःख की
वो दौड़ी दौड़ी चली आई हर पल की उसे फ़िक्र थी।
दोनों कुलों की शान बढ़ाती हैं बेटियाँ
नारी के हर रूप में समाई हैं बेटियाँ ।
