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Dr Mahima Singh

Classics Others

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Dr Mahima Singh

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महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप

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हुयी भारत की भूमि धन्य जब जन्मे थे राणा।

है धन्य वो जननी जिसने 

जन्म दिया ऐसे सूरमा को।

देश है जिसका ऋणी आज भी

सोचिए क्या घड़ी होंगी

क्या लोग होंगे  जिनके 

नयन देखते थे स्वप्न 

केवल देश प्रेम के

देश की स्वतंत ही 

उनका प्रिय आभूषण था।

ऐसे वीर का साथी

चेतक भी निराला था ।

है वीरता की कहानियाँ 

अजर अमर इस माटी की।

कण कण में बसती यही कहानी है।

मेवाड़ की धरती से

जब पवन विचर कर

आती थी, इठलाती थी 

और सुनाती थी ,

कि देखो आज मैं 

हुयी धन्य उस वीर 

को स्पर्श कर आयी हूं, 

धन्य हुई मैं आज ।

कतिपय विधाता भी 

नतमस्तक था।

जिसने वर्षा को

रखा है दूर इस

पावन धरती से।

न धूले न मिटे सुगंध

उस वीर के लहु की 

बसे सुगंध यही 

अमर बलिदानी धरती पर। 

उड़ उड़ कर रज् चूमती 

उस वीर के लहू को 

देती रोज सलामी है।

कहते हैं वीरों का,

तीर्थ यह माटी।

पथिक भी पीकर उस

धरती का पावन जल 

कहते पी कर आया हूं अमृत

अब मैं भी अजर 

अमर बलिदानी बन जाऊं। 

आओ दे यह नारा नया

 जो जीता वो राणा

जो जीता वह पोरस।

महाराणा प्रताप के 

प्रताप की महिमा का 

ताना-बाना बुना है 

महिमा ने है यह क्षत्रिय  

 जो था हिमालय  सा 

अटल गंगा सा निर्मल 

भारत माता का लाल अमर।   

हूं नतमस्तक जय हिंद।



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