यकीन नहीं आता
यकीन नहीं आता


यकीन की सीमाएं समाप्त हो जाये,
दिल चकित हो,जब नया कर जाये,
चहुं ओर जब ये ,खुशियां छा जाये
मन मुदित होकर, देने लगेगा दुवाएं।
कल तक जो तरसता देखा रोटी को,
आज लगा है घर में धन का अंबार,
यकीन नहीं आता ऐसा भी हो जाये,
लाइन लगाकर उसका करते दीदार।
एक बैल से करता मिला था खेती,
आज लगी है टै्रक्टरों की वो अंबार,
यकीन नहीं आता यह रामू किसान,
अब तो लोग भी उससे करते प्यार।
कभी वो कक्षा में नहीं पढ़ पाया था,
अच्छे अंकों से हो गया है आज पास,
यकीन ही नहीं होता, कैसे हुआ यह,
खुश नजर आता ,नहीं है आज उदास।
कभी हो
ता था क्षेत्र का वो एक राजा,
आज तोड़ रहा है देख लो वो पत्थर,
यकीन ही नहीं होता, कैसे हो गया है,
माटी फांक रहा है वो, छिड़का न इत्र।
दूध दही की यहां, बहती थी नदिया,
आज पानी भी मिलता है बस मोल,
यकीन ही नहीं आता, कैसे है संभव,
कह दे अगर तो, बढ़ जाये जन बोल।
कभी भीख मांग खाता था कल तक,
आज उसके भरे हैं घर के सब भंडार,
यकीन ही नहीं होता कैसे ऐसा संभव,
दे रहे लोग उसे, जीता रहे वर्ष हजार।
भाग्य की रेखा कब करिश्मा दिखा दे,
कब भरे चौराहे पर बेइज्जति करवा दे
यकीन ही नहीं आता ऐसा भी संभव,
नहीं पता है कहां यह झोली भरवा दे।