Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

Sanju Srivastava

Classics

5.0  

Sanju Srivastava

Classics

वो मेरा विद्यालय

वो मेरा विद्यालय

1 min
708


आज सालों बाद,

स्कूल के सामने से गुजरना हुआ,

न जाने क्यूं कुछ पल ठहरने का मन हुआ,

यूं लगा हँस कर स्कूल ने पूछा,


भागते थे तुम हमेशा इम्तिहान से,

कहो कैसा चल रहा हैै,

इम्तिहान तुम्हारी जिंदगी का।


आज ना जाने कैैसे,

याद आ गई

वो आखिरी बेंच और वे दोस्त,

वो कभी न खत्म होनेवाली

सारी शैैतानीयाँ,


लड़कियों के टिफिन से छीन कर

इंटरवल में खाना खा जाना,

किताबों से दूर, मास्टर साब की,

डाँट खा कर भी हँसना, हँसाना।


आज जिंदगी की सांझ में,

ऐ स्कूल,आज तुम बहुत याद आ रहे हो।

तुमने पढना सिखाया,

इम्तिहान देना सिखाया,


जिंदगी जीना सिखाया,

जिंदगी के इम्तिहान में,

पास फेल होना सिखाया।


आज न वो दोस्त हैं,

और न ही वो शैतानीयाँ,

पर आज न जाने कैसे,

तुमसे मुलाकात हो गई,


और एक बार,

जिंदगी से विदा लेने से पहले,

बचपन से मुलाकात हो गई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics