दिल पर ऐतबार रखता हुं
दिल पर ऐतबार रखता हुं
मैं दावों पर नहीं
दिल पर ऐतबार रखता हूँ
शायद यही वज़ह है
जो खुद पर अख़्तियार रखता हूँ
आपकी इनायतों ने सराहा है मुझे
सिर्फ इसीलिए नहीं मैं व्यवहार करता हूँ
आप सूरज है एक उम्मीद का
आप मुस्कुराहट है एक उदासी पर
आप सुख है किसी दुःख का
आप जीवन है किसी प्रांगण का
आप चेतना है किसी जीवन की
आप आप है जो कोई दूसरा नहीं हो सकता है
इसीलिए मैं आपका इस्तकबाल करता है
दिल की महफ़िल सजी है
आप भी चले आइये
आपके आने हरसू अब मैं इंतज़ार करता हूँ....।
