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sadhna Parmar

Tragedy Crime Thriller

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sadhna Parmar

Tragedy Crime Thriller

लाज का घूँघट

लाज का घूँघट

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ना जाने कितने समय से ये,

पर्दा लगा हुआ है मेरे चहरे के ऊपर,


नहीं जानती की कोन सी सजा है ये पर्दा,

नहीं जानती की कोन सा रिवाज है ये पर्दा,


सब लोग कहते है घूँघट है औरत का गहना,

मैं नहीं मानती घूँघट को औरत का गहना,


समझती हूँ अपनी मान मर्यादा और सन्मान,

लेकिन लाज का घूँघट अभिशाप है औरत को।


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