राह तेरी
राह तेरी
राह तेरी भी वही थी
राह मेरी भी वही थी
फर्क इतना की मैं जनाजे में
और तू डोली में थी।
ऊपर आसमान और
नीचे धरती हमारी थी पर
मेरी निगाहें आसमां पे
और तेरी जमीं पर थी।
लोग मेरे भी और लोग तेरे भी
बेसुमार रो रहे थे
मेरी जमीं से और तेरी घर से
रुखसत आखिरी थी।
तूझे देखने को और मुझे
छोड़ने को लोग बेकरार थे
मैं घर उजाड़कर और
तू घर बसाने जा रही थी।
बात तो एक ही थी
तेरे और मेरे जाने की घर से
मंजिल तेरी वो पहली
और मेरी वो आखिरी थी।