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Mukesh Tihal

Drama Romance Classics

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Mukesh Tihal

Drama Romance Classics

क़स्बे में प्रेमिका

क़स्बे में प्रेमिका

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यादों से भरा एक क़स्बा

डूबा पड़ा होगा मेरे इंतज़ार में

बिल्कुल चुपचाप सुनसान सा

दुनियादारी से अनजान सा

कोई अपना होगा मेरे जर्ज़र मकान में

वो तो जंगले से झाँक रही होगी


सुनी पड़ी सड़क को ताक रही होगी

देख रही होगी

कभी घडी - कभी चाँद

मन ही मन कह रही होगी

पुरे करदे मेरे अरमान अ आसमान

इस बीच एक सर्द हवा का झौंका आया होगा


छूकर निकला होगा उसके तन को

एक अज़ीब सी सिहरन दे गया होगा उसको

फिर से वो तो खो गई होगी मेरी स्मृतियों में

कभी - कभी मंद - मंद रोने लगेगी

कभी - कभी हल्की सी ख़ुशी में

बार - बार अपनी पलकें झपकाने लगेगी

अब तो ऐसा कर अपने दिल को बहकाने लगेगी


ना जाने मौसम में ऐसा कोनसा ख़ुमार होगा

उसके मन में तो मेरा प्यार ही प्यार होगा

ना होगी रात अब उसकी आँखों में

तभी वो बंद पड़े संदूक से मेरी हर चिठ्ठी व

अपना फ़ोन निकालती होगी

फेसबुक - ट्विटर - इंस्टा को छानती होगी


पड़ने लगेगी मेरे वो सब सन्देश जो

मैंने उसको पाने के लिए भेजे होंगे

ये सब पढ़ कर बोलती होगी इतना क्या काफी

नहीं था मुझे तड़पाने के लिए

जो तेरी तस्वीर ने भी कर दिए हरे जख़्म पुराने मेरे

समेट लिया होगा मुझको अपनी बाँहों में

चूम लिया होगा मेरा माथा अपने होठों से

अब तो गुम हो गया होगा सब सनाटा

तब तो ख़ुशी के मारे रो रही होगी


बंद करके फ़ोन उसने अब तो जोर से आह भरी होगी

दौड़ कर गई होगी फिर से जंगले में

ये कह रही होगी

ओ सड़क तेरी राह से बड़ी मेरी चाह है

तुझे भी ये सुनसानी हटानी पड़ेगी

मेरे प्रियतम की थाह बतानी पड़ेगी

लौट कर आना होगा उसको मेरे जीवन में

उसके बिन मुझे ये रात ना बितानी होगी


चल ले चल मुझको उसकी राह पर

या मुझको ये सांस मिटानी पड़ेगी

क्योंकि क़स्बे में प्रेमिका

उसके बिन कैसे कहानी बनेगी

कैसे कहानी बनेगी।


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