प्यार या पागलपन
प्यार या पागलपन
हर लड़की को ऐसा प्यार चाहिए
जो सिर्फ उसका बन कर रहे
जो कदमों में खुशियां रखें दे
बिना उसके कुछ सोचें और कहे
मुझे तो बेशक मिला वह प्यार
जिसके लोग ख्वाब देखा करते हैं
पर हकीकत में ऐसा नहीं होता
जैसा कि हम सोचा करते हैं
वो मुझे चार दीवारों में कैद कर रखता
ताकि मुझपे किसी की नजर ना पड़े
कहता था कि मैं सिर्फ उसकी हूँ और
मेरे प्यार का किसी पर असर न पड़े
मेरी खुशियों के लिए अक्सर
महंगे सामानों का ढेर बना देता था
पर उस सुकून का क्या बताएं
जो वो कभी नहीं देता था
अरे कौन सा प्यार ऐसा होता है
जरा कोई मुझे भी तो बताए
हद से ज्यादा कुछ भी अच्छा नहीं
तो क्यों हद से गुजर जाए
आज सारा सुख मेरे पास है पर
प्यार का नहीं कोई एहसास है
बाकियों को अब तक कुछ पता नहीं
सब कहते मुझे जिंदा लाश है
अपने प्यार को खुद जांच परख लेना
कहीं कोई हुआ हवस नहीं होना चाहिए
प्यार हद तक रहे तो ही अच्छा वरना
प्यार में पागलपन नहीं होना चाहिए।