प्यार में मन का भटकना
प्यार में मन का भटकना
प्यार हुआ तो मन का भटकना लाज़मी है,
प्यार है सौगात ऐसी की सुख चैन छीन लेती है
प्यार की तलाश में हर पल नजरें भटकती है,
चारो तरफ वो ही शख्स नजर आता है जो
एक बार दिल मे बस जाता है,
अक्सर मिल जाते है धोखे प्यार की राहों पर,
दिल टूट कर बिखर जाता है फिर भी टुकड़े चुनते हैं,
ये दिल है कि मानता ही नही उन राहो पर भटकता है,
वो गालियां वो राहें प्यार की हर पल याद दिलाती है,
प्यार हुआ तो मन का भटकना लाज़मी है,
रोक ले चाहे लाख ज़माना दिल नही मानता,
दीवाना शायर कोई बन जाता है
तो कोई नशे में खुद को डूबो लेता है,
ये प्यार भी क्या क्या खेल खिलाता है,
प्यार हुआ तो मन का भटकना लाज़मी है ।