प्यार में मजबूर प्रेमिका
प्यार में मजबूर प्रेमिका
पल भर ना लगा उनसे दिल लगाने में
पर उम्र सारी ढल गयी उनको भुलाने में
थी मजबूर प्यार में, जुटी रही हर हुक्म उनका बजाने में
वो शान अपनी समझते रहे मुझे कठपुतली सा डुलाने में
पूरी शिद्दत से लगी हूं मैं अपने वादे निभाने में
वो मशगूल हैं मुझे आश्वासन के झूले में झुलाने में
किया अपनों को रूसवा, लिया पंगा जिसके लिए ज़माने से
वो ही आगे है आज मुझे कांटों की सेज पर सुलाने में
उड़ा दिये हर दु:ख-दर्द हमने हँसने और हँसाने में
थक हार कर बैठ गये जो रहते थे हमें रूलाने में