अलबेले हमसफ़र
अलबेले हमसफ़र
अलबेले हैं मेरे हमसफ़र
नये ज़माने से रहते हैं वो बेखबर
जानू, शोना, मोना, बेबी, डार्लिंग नहीं आता उनको कहना
ज़ोर से आवाज़ लगाते हैं कहकर वन्दना
अवसर विशेष वो अक्सर ही भूल जाते हैं
फोन आने पर दूसरों के, वो फिर खिसियाते हैं
कोई गिफ्ट देने या बाहर घूमने का बनाते नहीं प्लान
वैसे घुमाते रहते हैं, दिलवाते हैं अनेकों मनपसंद सामान
बीमार होने पर उसके हो जाते हैं बेहाल
करते हैं उसकी अच्छे से देखभाल
थोपते नहीं कभी उसपर अपना कोई फैसला
मिलजुलकर सुलझाते हैं वो कोई भी हो मसला
सम्मान भी देते हैं वो उसे भरपूर
करे कोई अपमानित उसे, ये उन्हें है नामंजूर
करूं मैं चाहे कितनी भी मनमानी
होती नहीं उन्हें कोई परेशानी
जब से थामा है उन्होंने मेरा हाथ
दिया है हर सुख दुःख में मेरा साथ
बिन कहे समझ जाते हैं वो दिल की बात
नखरे भी उठाते हैं, रखते हैं मुझे हाथों हाथ
होती है हमारे बीच बस छोटी मोटी तकरार
कभी वो
कर लेते गलती स्वीकार, कभी मैं कर लेती हूं मनुहार
सोचती हूं जब विदा होऊं संसार से, हो उनका हाथों में हाथ
है यही दुआ बना रहे जन्म जन्मांतर तक हमारा साथ
ऐसा नहीं कि वो छिड़कते हैं बस मुझपर ही जान
परिवारीजनों में भी बसती है उनकी जान
देख नहीं सकते वो किसी को परेशान
चेष्टा करते हैं वो ,हो किसी तरह समस्या का निदान
अपने मधुर स्वभाव की छोड़ते हैं वो लोगों पर छाप
दिल में अपने रखते नहीं वो कोई पाप
जरूरतमंद की मदद करने को रहते हैं सदा तैयार
बहुमुखी प्रतिभा के हैं धनी, मेरे सरकार
हर तरह के व्यसन से रहते हैं वो कोसों दूर
हां, अच्छे खाने का वो रखते हैं शौक ज़रूर
छल, कपट, ईर्ष्या, द्वेष से नहीं उनका कोई नाता
डींगें मारना तो उन्हें ज़रा भी नहीं सुहाता
हमसफ़र, बेटे, भाई और पिता के रुप में नहीं उनका कोई सानी
होता है गर्व मुझे ये कहते हुए, हूं मैं उनके दिल की रानी।