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Vandana Bhatnagar

Inspirational

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Vandana Bhatnagar

Inspirational

कोई और नहीं बस वो मां होती है

कोई और नहीं बस वो मां होती है

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खेल खेल में जो बात गूढ़तम सिखला दे

दूर बैठकर भी जो शब्दों से अपने, सहला दे

पल भर में रोते हुए को जो बहला दे

जो अपनी ममता से बच्चे को नहला दे


वो कोई और नहीं बस मां होती है


कामयाबी पर बच्चों की जो झूम जाये

दुःख में अधमरी, खुशी में उनकी जो फिरे इठलाये

बच्चों के लिये जो किसी भी हद से गुज़र जाये

राज़ सीने में हज़ारों जिनके दफन कर जाये


कोई और नहीं बस वो मां होती है


जो नि:स्वार्थ भाव से लाड़ लड़ाये

फरमाइश पूरी करने में जो दिली सुकून पाये

बच्चों से मिलने को जो सदा फड़फड़ाये

जिसके ना होने से घर में उदासी पसर जाये


कोई और नहीं बस वो मां होती है


जो हर बुरी बला से बचाये और डर को दूर भगाये

जो हौसला बढ़ाये और कांधे पर रख हाथ भरोसा भी दिलाये

दुनियादारी निभाने में जो निपुण बनाये

जो सदा बच्चों की सलामती की दुआ मनाये


कोई और नहीं बस वो मां होती है


हाल पूछने पर जो सदा हाल अपना अच्छा बताये

खर्च कर दो उसपर तो उसे फिज़ूलखर्ची गिनवाये

जो पहले डांटे बच्चे को, फिर खुद ही उसे मनाये

जो बच्चों की चिंता में ही घुलती जाये


वो कोई और नहीं बस मां होती है



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