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Indraj Aamath

Drama

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Indraj Aamath

Drama

प्यार की भाषा

प्यार की भाषा

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शिशु की छुवन से हर माँ का

रोम रोम प्रफुल्लित हो जाता है,

बेटे के पथ पर बढ़ते कदमों से

हर पिता गर्व से इठलाता है।


आंगन से निकली हर डोली

घर सुना सुना कर जाती है,

सावन की बारिश में देखो

विरह दर्द उमड़ ही जाता है।


नगर की सख्त दीवारों को

प्यार खंड खंड कर जाता है,

मन की हर उलझन में भी

ये मरहम भी लगा जाता है।


नफ़रत की सीमा पर देखो

बेगुनाह रोज सो जाते है,

झूठे ऑनर कि खातिर

प्यार बलि चढ़ जाता है ।


प्यार की भाषा जो समझा

वो मदमस्त हो जाता है,

दूर दराज से पथिक भी

घर को लौट चला आता है।


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