प्यार की बगिया
प्यार की बगिया
प्यार की एक बगिया बनाया हूं,
ज़िंदगी एक मिशाल बनाया हूं।
भीड़ भरे इस दुनिया में गम क्यों,
गम को ही मैं हथियार बनाया हूं।
देखो एक पक्षी की उड़ान देखो,
उससे अपना आदर्श बनाया हूं।
हवाओं में परवाज़ करूं की चाह,
अपने को सदा बहार बनाया हूं।
प्यार की लौ मद्धिम ना होने दूं,
रंगीन दुनिया प्यार से बनाया हूं।
आह! सारा कुछ तो पाया ही हूं,
अपने तजुर्बा से सब बनाया हूं।
तमन्ना अभी भी मस्त अंदाज़ में,
तमन्नाओं से ही मुकाम बनाया हूं।
दिल को दिलदार रंग से मैं रंगा हूं,
दिलदारी से सिर्फ़ बंधु बनाया हूं।
प्रीत संदीप जी खूब निभाया है,
हर सह दिल से अपना बनाया है।