" प्यार की अनुभूति "
" प्यार की अनुभूति "
तुम अपने होंठों से कोई गीत सुनाओ ,नयनों की भाषा से मेरा दिल बहलाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!
तेरी भीगी भीगी खुसबू ,को अपने ही पास रखूँ !तेरी साँसों की रफ़तारों ,
के संग मैं चलता रहूँ !!रातों की तनहाई में कुछ बात बताओ ,
प्यार भरा जीवन का कोई राग सुनाओ !अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!तेरी जुल्फों के साये में ,
मेरी अब रात कटेगी !जन्मों की प्यासी रूहों ,की अब प्यास बुझेगी !!
इस मिलन के क्षण को अमर बनाओ ,जीवन के सुखसागर का आनंद उठाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!
हम दूर रहे तुम दूर रहे ,और नहीं रह सकते हैं !
जीवन तो है साथ मधुर ,जब संग सदा ही रहते हैं !!
नये गीत सुर का कोई गीत बनाओ , मेरे कानों में अमृत धारा बन जाओ !
अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे ,तुम अपने होंठों से कोई गीत सुनाओ !!
नयनों की भाषा से मेरा दिल बहलाओ ,अंगों की मादकता से अमृत रस बरसे !
मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ ,मन के आँगन में कोई फूल खिलाओ !!