अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा बाबा

Tragedy

प्यार का मसीहा

प्यार का मसीहा

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हां अब तेरी यादों में धीरे धीरे मरने लगा हूं,

भूल जाऊं तुझे ऐसा गम ए जहर पीने लगा हूं,

 मत करना कभी मोहब्बत पे ऐतवार सनम,

उल्फतो के साए में अब बहूत टूटने लगा हूं।

भूल कर भी कभी न याद करना मुझे तुम,

मेरी दोस्ती मेरे प्यार का सम्मान करना तुम।

संभाल कर रखना मेरे दिल की अमानत, 

तेरे हर दर्द में मेरी वफ़ा होगी तेरी जमानत।

बहुत कुछ समझा बहुत कुछ जाना हमने,

उलफतों के साए में तुझे रब माना हमने। 

मतलब की दुनिया बनाई तुमने,

और हम प्यार ही समझते रहे,

खुदगर्जी का दामन बिछाया तुमने,

और हम प्यार का मसीहा समझते रहे।


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