ठोकर
ठोकर
काजू भी खाया,बादाम भी खाई
अक्ल तो ठोकर खाकर ही आई
ठोकर तो बेचारी यूँही बदनाम है
खाकर संभले वो कमाता नाम है
ठोकर के होते बहुत से प्रकार है,
रिश्तों की ठोकर होती लाजवाब है
काजू भी खाया,बादाम भी खाई
अक्ल तो ठोकर खाकर ही आई
तुलसी ने जब पत्नी से ठोकर खाई
तब ही मिली उन्हें राम नाम की पाई
रच दी थी,उन्होंने रामचरितमानस,
राम भक्ति की सुंदर अलख जगाई
ऐसे ही कालिदासजी ने ठोकर खाई
बने आप संस्कृत के महाकवि भाई
काजू भी खाया,बादाम भी खाई
अक्ल तो ठोकर खाकर ही आई
ठोकर फ़लक पे पहुंचनेवाली माई
आलसी लोग बताते इसे गम-खाई
पर जो ठोकर को मानते वरदान है,
उनको बनाती ये खिलता गुलाब है
जिन्होंने कभी सीने पे ठोकर खाई
उन्होंने ही सोई हुई किस्मत जगाई
काजू भी खाया,बादाम भी खाई
अक्ल तो ठोकर खाकर ही आई
हृदय की ठोकर में बड़ा चमत्कार है
पत्थर को देती ये सजीव आकार है
ठोकर में समाया हुआ साखी सांई
ठोकर से बजती खुशी की शहनाई
काजू भी खाया,बादाम भी खाई
अक्ल तो ठोकर खाकर ही आई
दिल से विजय
