जिंदगी से जो लड़ बैठा है
जिंदगी से जो लड़ बैठा है
अलख जगी संकल्प बना,
जीवन एक विकल्प बना।
उल्फत हुईं संगति में जगी,
अग्निपथ एक ज्वाला बनी।
न डरा न डरने दिया कभी,
लथपथ सांसें कारवां बनी।
न इधर न उधर गया पथ राही,
सीधी पगडंडी रास्ता बनी छाईं।
जिधर भी देखा नैन घुमाई,
कहां दुनिया तरक्की पाई।
एक बात सीखी जगहंसाई,
कोई न समझे पीर पराई।
जिंदगी से जो लड़ बैठा है,
जग में आदमी वही पैदा है।
