मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
मुस्कुराहटों का ही सितम है
जो आज हमको इतना गम है
हर बार खिला देती हो धोखा
ये तुम्हारी नज़रों का करम है
बेशक तुम हो खुदा की कारीगरी
केवल तुम ही हो ये तुम्हारा भ्रम है
मैंने तुमसे की है बेपनाह मोहब्बत
शायद ये ही मेरा सबसे बड़ा जुर्म है
बना देती हो दीवाना अपनी अदाओं से
बस हमको इतना सा ही तो गम है
डूब जाते हैं इन आँखों के दरिया में
यही शायद अपना धर्म है।