शब्दों से काम ना होगा
शब्दों से काम ना होगा
दिल में अजीब से उठ रहे हैं ज्वाला
शब्द निकलने को बेचैन हो रहे हैं
देखकर ये आतंक का रूप
व्यथित मेरे दो नैन हो रहे हैं
मां पर हो रहे अत्याचार को देखकर
कैसे संभालूँ मन के इस आक्रोश को
कदम उठाने है मुझे उसके खिलाफ
ठंडा ना होने दूंगी इस जोश को
दुश्मनों की सैनिक चारों तरफ से
धीरे-धीरे हक जता रहे हैं हमारी जमीन पे
कब्जा कर रहे हैं हमारी मां पर
निकले ये सब देखो सांप आस्तीन के
पहले से नियत रही है इनकी
इस धरती को कब्जा करने की
क्यों न्यौता दे रहे हैं अब ये
भारत की शक्ति आजमाने की
शब्दों से अब काम ना होगा
आगे बढ़कर हमें लड़ना होगा
औकात बता कर इनको इनकी
जमीन ध्वस्त इन्हें करना होगा
अब शब्दों से सौदा करना छोड़ कर
उठा लो अपने अपने हथियार
खदेड़ दो इन परदेसियों को
अपने हिस्से की जमीन से बाहर
हथियार उठा के युद्ध करो
अब दे दो इनको मात
निकाल कर बाहर फेंक
बता दो इनको इनकी औकात
