पवित्र पथ
पवित्र पथ
सत्य त्याग धर्म निस्वार्थ कर्म
अनमोल धरोहर,
नहीं कभी इसे हमें है छोड़ना
पथ पर कर्म कर।१।
कर्तव्य पथ निस्वार्थ होना
सही जीवन है यही
चाहे आये बाधा विघ्न दुःख अति
सामना करना है यही।२।
झुकना नहीं है कर्तव्य पथ में
आगे बढ़ते जाना है
प्रभु पद सेवा नित्य प्रतिदिन
करते हमें जाना है।३।
राष्ट्र प्रेम श्रद्धा जीवन मंत्र हो
जनकल्याण भाव हो
परोपकार हो जीवन कर्तव्य
प्रभु भक्ति ही मार्ग हो।४।
बढ़ते जाना है कर्म मार्ग पर
सेवा भक्ति प्रेम ही हो,
हर कठिनाई दूर हो जायेंगे
प्रभु की भक्ति सदा हो।५।
सत्य त्याग धर्म निस्वार्थ कर्म
अनमोल धरोहर
नहीं कभी हमें इसे है छोड़ना
पथ पर कर्म कर।६।