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Krishna Bansal

Abstract Action

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Krishna Bansal

Abstract Action

बुक शेल्फ

बुक शेल्फ

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मेरे स्टडी रुम की 

एक पूरी दीवार

बुक शेल्फ है।


नई, पुरानी, बहुत पुरानी किताबें, 

हर विधा पर

कविताएं, लेख, गीत 

कथा, कहानियां, उपन्यास, 

धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक व फिलॉस्फीकल 

न जाने कितने विषयों की।


कई किताबें इतनी ज्ञानवर्धक

जिन्हें न जाने कितनी बार पढ़ा 

मन नहीं भरा।

कई ऐसी, 

आधी अधूरी छोड़ दी

कुछ ऐसी भी 

केवल खरीदी गईं

पढ़ी कभी नहीं गईं 

अब शेल्फ के श्रृंगार का काम करती हैं।


'साहित्य सुषमा' 

चौंसठ वर्ष पुरानी

मेरी दसवीं की किताब

काव्य, कथा, नाटक, 

लेखों का संग्रह

किताबों के प्रति 

मेरा पहला प्यार

आज भी मेरी गाईड है।

किसी भी संदर्भ में 

मुझे कुछ ढूंढना हो अगर,

इसी की शरण में जाती हूं। 


अज्ञेय का 'शेखर एक जीवनी'

जयशंकर की 'कामायनी'

महादेवी वर्मा की 'यामा'

इतने वर्षों उपरान्त भी 

छाए रहते हैं 

दिलो दिमाग पर।


शिव कुमार बटालवी का

'शिकरा' और 'असी ता जोबन रूत्ते मरना'

आज भी मस्तिष्क को 

झंझोड़ देते हैं।


सैकड़ों किताबें

जे. कृष्णा मूर्ति, हरमन हैस,

ऐल्डस हक्सले 

कितने ही लेखकों, 

धार्मिक गुरुओं व 

दार्शनिकों की 

शोभायमान हैं इस बुक शेल्फ में।


गीता, महाभारत, रामायण तो 

हर घर की शान है 

मेरा शेल्फ पीछे 

कैसे रहता।


कई किताबें 

पचास वर्ष पुरानी।

पीले और जर्जर पड़ते पन्ने

किसी की जिल्द फटी 

किसी के किनारे मुड़े।

कुछ किताबें 

मेरे अपने विषय गणित की,

या हिन्दी, इंग्लिश,

पंजाबी साहित्य की।


बुक शेल्फ का एक हिस्सा

मेरी अपनी स्वरचित किताबों का।


मेरी 'आत्मसाक्षात्कार'

महादेवी वर्मा की 'दीपशिखा' का साथ साथ होना

मुझे उनके प्रति श्रद्धा और आत्मीयता का अनुभव देता है।


ऐसा लगता है

पुरानी किताबों के साथ 

नई मिल कर

बुक शेल्फ में 

नयापन आ गया है

रंग चोखा हो गया है।

 

ये मेरी आन बान और शान है।

हर पुस्तक से, जीवन का 

कोई न कोई पाठ सीखा है मैंने।

मैं इनसे ऐसे जुड़ी हूं

जैसे किसी सगे सम्बन्धी से।

यह मेरे जीवन की 

हर समस्या का समाधान है।


आधुनिक समय में

टैब स्क्रीन पर ई-बुक्स पढ़ना भी 

ठीक लगता है

पर मेरी किताबें 

मेरे जीवन का अटूट हिस्सा है।


यह मेरा ख़ज़ाना

दुनिया की किसी भी 

दौलत से अधिक मूल्यवान है।



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