पूर्ण
पूर्ण
माता ने किया इशारा,
आती हूं तेरे घर में।
तुम साफ करो तन मन को,
मैं रहती हूं मंदिर में।
बड़े दिनों थी हमको,
अरदास तुम्हारी माई।
तुमने पहले जांचा परखा,
फिर तुम मिलने आईं।
जब आती हो तो सुन लो,
अब दूर कभी न जाना,
अपनी किलकारी से मेरे,
आंगन में गीत सुनाना।
प्रेम और स्नेह मिलेगा,
और अधिक जीवन से।
तुम बिन अधूरे हम थे,
पूर्ण हुए अब तुमसे।
