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Rajeev Rawat

Romance

4  

Rajeev Rawat

Romance

पूनम--दो शब्द

पूनम--दो शब्द

1 min
347


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जब तुम मुस्करा कर

मेरी बाहों के दरमियाँ समा जाती थी

मेरे दिल के आंगन में चौदवीं का चांद उतर

आता था-

तुम्हारे तृप्त चैहरे में बंद आंखो के बीच

पूनम का चांद नजर आता था-

दिल की अंधेरी राह

तुम्हारे आने से दीवाली सी रोशनी - ए-आफताब में नहा जाती थी-

और रजनीगंधा और रातरानी के फूलों की महक अंतर्मन में महक जाती थी-

तुम्हारे भाल पर चमकते ओस से कण

तारो से नजर आते थे-

तुम्हारे बिना सपनों का आसमां भी अधूरा सा, कानों में कह जाते थे-

शायद यह बेताबी, बेसब्री, बेख्याली

कोई दीवाना ही जानता है-

जो अपने इश्क को ही इबादत - ए-खुदा मानता है-

इसलिये वह चुपके से जब भी यादों

की चांदनी में नहाई नजर आती है-

हर अंधेरी रात पूनम की रात बन जाती है.

             


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