पूजा के फूल
पूजा के फूल
कुछ माँगा था
एक बार तुमसे
उसी प्रहर में…कि
यूं ही देखना चाहा,
प्रेम में समर्पण!
देखो ना तुमने भी कैसे
बिना वक्त गँवाए
मेरे भीगे केशों में,
टांक दिए थे...महकते
रजनीगंधा के फूल
जैसे…जानते थे तुम
श्वेत रंग ही मेरी,
पहली पसंद है...!
या फिर तुम्हारे जीवन में
मेरी इच्छा सर्वोपरि है!
उस दिव्य अनुभूति ने
तरंगित कर दिया
मेरे अंतस को….
वो पल मुझे...तुमसे
दूर होने नहीं देता
तुम्हारी आस्था/
तुम्हारा विश्वास मुझे…
कहीं खोने नहीं देता!
यूं ही समर्पित नहीं
किया मैंने
अपनी भावनाओं को
पूर्ण रूप से तुम्हारे समक्ष
आखिर उस दिन तुमने
समर्पित किये भी थे!
तो…
ईश्वर पर निवेदित होने को
जाते...पूजा के फूल!