पूछती है धरा
पूछती है धरा
पूछती है धरा क्या तू है कर रहा।
ये सृजन मेरा क्यों है बिगाड़ा भला।
मेरी आँखों से हालात तू देख ले।
जिंदगी जी रहा है या फिर मर रहा।
इस तरह से प्रदूषण फैलाया यहाँ
सांस लेना भी मुश्किल मेरा कर दिया।
मेरे रहने से अस्तित्व ही तेरा है
इतनी सी बात ये तू समझ ले ज़रा।
कह रहा है कमल आज सबसे यही
क्या बताओगे गर प्रश्न पूछे धरा।