पूछता है भारत
पूछता है भारत
क्यों किसी की मौत का मनाते हो मातम,
जलाकर मोमबत्तियां चंद?
क्या ऐसे करोगे बलात्कार के आरोपियों का प्रबंध?
पूछता है भारत।
बहाकर कुछ घड़ियाली आँसू,
क्या बिगाड़ लोगे तुम किसी का?
सरकारें आती रहेंगी, जाती रहेंगी,
क्या होगा इस देश के प्रारब्ध का?
पूछता है भारत।
“मार डालो, काट डालो, जला डालो”,
दिन रात यही आवाजें
गूंजती हर ओर
सड़क पर पड़ी है लाशें,
राष्ट्र के सम्मान की,
संविधान के आन की,
नारी के अभिमान की,
जनता के अरमान की,
देशद्रोही गिद्ध
बिलबिला रहे हैं हर ओर,
नोचने को वो लाशें,
जनता सोई है,
विमुग्ध, विस्मृत,
बस एक ही भाव मन में लिए
देश चल रहा है, देश जल रहा है
देखा जाएगा, देख लेंगे,
कहाँ तक चलेगी यह दुर्दशा?
कैसे चलेगी यह मनोदशा?
पूछता है भारत।
अदालतों में जल रही युगों से,
न्याय की देवी की चितायें,
जिन्दा दफ़न किये जाते हैं
इंसाफ के नुमाइंदे
दस्तावेजों के साथ।
सर उठाकर चलने वालों के जहाँ
कुचल दिए जाते हैं सर
अब तो दम घूंटता है
कब ख़त्म होगा यह
न्याय अन्याय का घिनौना खेल?
पूछता है भारत।
राष्ट्र की अस्मिता से खेलने वालों का
जहाँ समाज करता इस्तकबाल,
देश को तोड़ने वालों को बचाने
जहाँ सभी बन जाते हैं ढाल,
गलत का विरोध करने वाले जहाँ
करार दिए जाते अपराधी,
सरे आम सर कलम कर देते हैं
चारों तरफ हो रही ऐसी ही बर्बादी
क्या चाही थी भारत माँ ने
ऐसी ही आजादी?
पूछता है भारत।
किस ने रची इस देश में
लड़कियों की इतनी
कमजोर परिभाषा?
जिस देश में जन्मी
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई,
जहाँ जन्मी अहल्या बाई होल्कर,
पद्मावती ने जहाँ
किया जौहर
उस देश में आज भी क्यों है
औरत की अस्मिता को खतरा?
क्यों कोई औरत जब
उठाती है राष्ट्रवाद की आवाज़
धार्मिक तुष्टिकरण के विरुद्ध
करती है आगाज़
तो कुचल दी जाती है वह आवाज़
रोक दिया जाता है वह आगाज़
विरोधियों द्वारा
क्यों चुप रह जाती हैं सरकारें?
क्यूँ सही फैसला नहीं सुना पाती अदालतें?
क्यूँ चुप हो जाता है चौथा प्रहरी?
किसकी क्या है मजबूरी?
पूछता है भारत।
क्यूँ हर बार
एक औरत ही देती रहे
अग्निपरीक्षा?
क्यूँ औरत के मान को सीढ़ी बनाकर
बन जाता है मर्द महान?
क्यूँ औरत के सम्मान को कुचल कर,
मर्द पूरे करता है
अपने कुत्सित अरमान?
पूछता है भारत।
पूछता है भारत।