पुत्र वधू
पुत्र वधू
पुत्रवधू जब आती है, घर को स्वर्ग बनाती है,
पुत्रवधू जब घर आती है, घर आंगन महक जाती है,
पुत्रवधू सही मायने में, त्याग की मूरत होती है,
पुत्रवधू एक सुंदरता की मूरत भी होती है,
पुत्रवधू अपने पिता के घर की गुड़िया भी होती है,
पुत्रवधू अपने पिता की अभिमान भी होती है,
पुत्रवधू एक भाई की स्वाभिमान भी होती है।
पुत्रवधू जब आती है, तो घर में खुशियां लाती है।
पुत्रवधू जब आती है, घर बगिया महक जाती है।
पुत्रवधू माँ के ममता से, विमुख होकर भी घर में ममता भर देती है।
पुत्रवधू कष्ट सह कर भी ना कभी कुछ कहती है।
पुत्रवधू अपनी खुशियां को त्यागकर,
दूसरों की खुशी भर देती है,
पुत्रवधू अपना घर त्याग करके,
किसी और का घर अपना मान लेती है।
पुत्रवधू भले अपने घर की लाडली हो,
लेकिन पति की सारी जिम्मेदारी ले लेती है।
पुत्रवधू अपना परिवार त्याग कर,
किसी अनजाने को जीवन भर अपना मान लेती है।
कैसे वो माँ बाप भी होते ?
जो खुद के जिगर के टुकड़े को,
किसी अंजान को दे देते है।
अपनी प्यारी गुड़िया को किसी,
और के हाथ में दे देते है।
पुत्रवधू और पुत्री में कोई भेद ना करना आप,
दोनों ही त्याग की मूरत इन पे संशय ना करना आप।
किसी पुत्रवधू पर अत्याचार ना करना आप।
कभी किसी पुत्रवधू को ,दहेज के लिए प्रताड़ित ना करना आप ।
पुत्रवधू घर की साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप होती है,
इनसे ही घर की शौर्य सम्पदा रहती है।
