पुरुष दिवस
पुरुष दिवस
मुबारक हो, उन्हें पुरुष दिवस
जो शादी बाद हो गये, विवश
जो बनते थे, कभी शेर बरबस
वो शादी बाद गीदड़ हुए, सब
उन्हें पुरुष की दिवस बधाई
जिनकी खत्म हुई, हर ख्वाहिश
वो पुरुष होते ज़्यादातर, बेबस
शादी पूर्व बाते करते, डींगें भर
वो शादी कर बन जाते, जोकर
जो खुद को समझते, ताकतवर
उन्हें बधाई साखी दरिया भर
शादी कर छोड़ चुके हंसी घर
जो रहते पत्नी पल्लू में बंधकर
उन पुरुषों को बधाई, गाड़ी भर
मुबारक हो उन्हें पुरुष दिवस
जो हर रिश्ता निभाते, हंस-हंस
जो गृहस्थ जीवन का हर, जहर
पी जाते है, बस सुधा समझकर
उन्हें मुबारक आज पुरुष उत्सव
जो शूलों में खिलते, गुलाब बनकर
सच्चा पुरुष एक ही है, केशव
जो दूसरों के नही, स्वयं के वश
उन वृक्षों के गिरते नही पल्लव
जो हकीकत से जुड़े हुए है, भीतर
जो होते है, वाकई के सच्चे नर
वही निभाते हर रिश्ता उम्र भर
मुबारक हो उन्हें पुरुष दिवस
जिनके भीतर जिंदा, सत्य नर।