पुकार
पुकार


चमकी बुखार ने कितना आतंक फैलाया,
बिहार के कई जिलों में अपना कहर बरसाया।
रोते बिलखते परिजन,
जाने कितने आंसू बहाए।
कान में रुई डाले सरकार
और अंधा शासन है।
मासूमों की क्या गलती
जो वो गरीब घर मे पैदा हुए।
उन्हें क्या पता एक दिन
डॉ, स्टाफ और दवाई के अभाव में
ये चमकी नामक डायन
उन्हें निगल लेगी।
मासुमों की तड़प और पीड़ा
क्या दिखती नहीं सरकार को।
शिखर धवन की छोटी चोट
दिख गयी मोदी को,
पर गोद में इलाज हो रहे मासूमों की
दिखी नहीं बिहार और भारत सरकार को।
ये कैसी विडम्बना है
चुनाव के वक्त बड़ी बड़ी बातें,
चुनाव के बाद सो रहे है क्या लम्बी ताने।
आज का यही है मेरा विचार,
सुन भी लो शासन बाबू गरीब की पुकार।