पुकार
पुकार
सुन कागा सुन मेरी पुकार,
ले जा संदेसा तू गगन पार।
पितरों तक तुम पहुॅंचा ही दीजो,
जो तुमको दिए मैंने उपहार।
अर्पण, तर्पण और समर्पण,
दान-दक्षिणा और मनुहारण।
उनकी इच्छा भोजन पत्रिका,
और साथ मे मीठा आकर्षण।
रहें प्रसन्न, देते रहें आशीष,
कृपा दृष्टि हो जन्म जन्मांतरण।
करवा दो मेरा ये सपना साकार,
सुन कागा सुन मेरी पुकार,
ले जा संदेसा तू गगन पार।
सुन कागा सुन मेरी पुकार
लेजा संदेसा तू उस पार।
कैसे निर्दयी, निर्लज्ज पुत्र प्यारे,
जो थे कभी आँखों के तारे।
जीते जी कदर न जानी,
छोड़ दिया वक़्त के सहारे।
दो मीठे प्यारे बोल नहीं,
रिश्तोँ का कोई मोल नही।
दो पल अपनी कह न पाए,
दो शब्द हमसे सुन न पाए।
जीवित रहते जो हमें न समझे,
उसक कोई नहीं साहूकार।
सुन कागा सुन मेरी पुकार
लेजा संदेसा तू उस पार।
