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Vivek Agarwal

Romance Tragedy

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Vivek Agarwal

Romance Tragedy

प्रतीक्षा (The Wait)

प्रतीक्षा (The Wait)

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हृदय में लिए असीम वेदना

मस्तिष्क में विचित्र स्तब्धता

गहन उदासी के प्रति

मन की विचित्र बद्धता


भावनाओं का एक भंवर 

मथता रहता है मन को

ज्यूँ दारुण दावानल कोई

निगल रहा हो वन को


नीरवता कुछ कहती दिखती

स्पंदन है चुप सा लगता

एक प्रश्नचिन्ह सा लगा है सम्मुख

समझो जितना और उलझता


भरे विश्व में एकाकीपन

मुझे आज क्यूँ लगता है

दर्पण में प्रतिबिम्ब भी अपना

अपरिचित अज्ञात सा दिखता है


निर्मम निष्ठुर नेत्र नहीं पर

रोम रोम नित रिसता है

पलकों में छिपा हर सपना मेरा

निश दिन पाटों में पिसता है


पल पल प्रतीक्षा है किसकी

क्यों हर क्षण युग सा लगता है

कौन है जिसकी आहट को

सुनने आतुर मन रहता है


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