प्रथम परिचय तुम्हारा
प्रथम परिचय तुम्हारा


मन के किसी कोने में संजो कर रखा है
आज भी वह पल यहीं कहीं ठहरा हुआ है।
अचानक नहीं था, हमारा मिलना
पूर्व नियोजित था, प्रथम मिलन
सीधे हृदय को छूते हुए से वह तुम्हारे नयन
उदास मौसम को बदल दे जैसे हो सावन
चुपचाप एकटक अबाध गति वो निहारना
बिन कहे आँखों से ही सब कुछ कह देना
बारिश की वो धीमी-धीमी सी फुहार
और इसी बीच तुम्हारा अनकहा प्यार