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shekhar kharadi

Romance Others

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shekhar kharadi

Romance Others

प्रणय

प्रणय

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प्रिये...तुम

किंतु, परंतु कि बातें रहने दो

केवल हृदय प्रणय कि बात करो

प्रेम के सान्निध्य में संपूर्ण बहकर

रिक्त स्थान यथार्थ रूप से भर दो ,

जो बरसों से भीतर खाली पड़ा था

तुम मीतमय बनकर पूर्ण भीगो दो

रक्त प्रवाह का हर बूंद झूम उठेगा

तुम्हें मिलकर नई राह सुदृढ़ बनाने।


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