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manisha sahay

Drama

5.0  

manisha sahay

Drama

प्रणय/प्रीत

प्रणय/प्रीत

1 min
276


निश्चल तूलिका में चलाती रही, 

देख चंद्र प्रतिबिंब मुस्कुराती रही,


भंग तन्मयता हुई, रागनी गाती रही, 

छेड़ हाथों से जल प्रतिबिंब हटाती रही, 


हर्षिता बन चाँदनी में इठलाती रही, 

गीत प्रणय के नव गुनगुनाती रही, 


स्थिर जल मे चंद्र यूं लुभाता रहा,

हृदय पिया मिलन के गीत गाता रहा, 


चाँद में मुखड़ा पिया का नजर आया, 

गर्वीत चांद भी चाँदनी पर इठलाया ,


मंद झोंके गेसुओं को उलझाते रहे, 

जैसे आँचल पवन भी उड़ाते रहे, 


सिंदूर, मेंहदी, चूड़ी सुहाग सजाती रही, 

सात फेरों के हर वचन दोहराती रही, 


प्रीत हृदय नेह द्वार खटखटाती रही, 

प्रेम साजन की हृदय में बसाती रही।


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