प्रेम
प्रेम
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वर्तिका जलती रही रात भर,
बस प्रेम मैं चुनती रही रात भर,
सकुचाती रही खुद से शर्माती रही,
भावनाएं दिल की छुपाती रही रात भर,
पल ठहरा नहीं एक पल को भी,
मैं विरहन हिया प्रेम जलाती रही रात भर,
वर्तिका जलती रही प्रेम से,
करती रही रौशन जग ये सारा रात भर