STORYMIRROR

संकल्प

संकल्प

1 min
248


मेरे संकल्प से मुझे कोई हटा नहीं सकता है,

डर से मुझे कोई डरा नहीं सकता,

लाख रोड़े अड़ा राहों में गिरा नहीं सकता,

मेरा राष्ट्र के निर्माण का संकल्प है।


दे रहा हूॅं अाहुती स्वयं की,

जल रहा हूॅं ज्योति जैस यञ की,

बढ़ रहा हूॅं जैसे प्रकाश पुंज है,

जीवन मेरा यह एक महायज्ञ है।


निर्भय हिमालय सा खड़ा झेल रहा प्रहार है,

तिमीर मिटाने को अब ये तैयार है,

शांत धरा सा और अम्बर सा विकराल है,

चंद्र सा शीतल और सुर्य सा अंगार है।


देखता था जो अलौकिक स्वप्न था,

साकार है जो वो मेरा संकल्प है,

रच रहा नित नये आयाम है,

गढ़ रहा राष्ट्र का नया आकार है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational