माँ (मुक्तक)
माँ (मुक्तक)
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माँ थोड़ा सा मुस्काती है,
सारी चिंता मिट जाती है,
नजर नहीं लग जाए मुझको,
काला टीका लगाती है।
बाँहो में ले सुलाती है,
लोरी सुना बहलाती है,
माँ मेरे लिये कितनों से,
हर बात पर लड़ जाती है।
हर बात वो समझाती है,
दुःख दर्द नही दिखलाती है,
अपने आँख के पानी को,
पलकों पीछे छुपाती है।