STORYMIRROR

manisha suman

Classics

3  

manisha suman

Classics

भय /डर

भय /डर

1 min
287


दानव बन मानव छले, करता नए घात, 

नियती का खेल देखो, मिली मौत अज्ञात।


नारी पर कुदृष्टि डाली, होगा भयंकर हाल,

तड़प तड़प चिल्लाआगे, हुंकारेगा काल।


रमायण महाभारत का, युद्ध बड़ा घमासान,

रावण बालि के वध से, लौटा स्त्री सम्मान।


धर्म, अधर्म, मानवता,रही किताबी बात, 

जग में प्रतिदिन यहाँ, बढ़ रहा प्रतिघात।


स्त्री सम्मान की बात हो,रूके सभी अपराध,

अगर ठान लो दिल में, मुश्किल नही ये बात।


भविष्य में खतरा बड़ा, करो तुम प्रतिकार, 

जिससे देश मेरा बने, जग में भारत महान।








Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics