मुक्तक....प्रेम
मुक्तक....प्रेम
तुम चंचल अधीर मेघ प्रिये, मैं धरती सी बेताब रे,
प्रेम में तेरे नित नित संवरूं, खुली एक किताब रे,
स्नेह सुधि से सुरभित श्वासें, हृदय का श्रृंगार हैं
प्रश्न पहेली सी थी मैं , तू हर प्रश्न का जवाब रे,
तुम चंचल अधीर मेघ प्रिये, मैं धरती सी बेताब रे,
प्रेम में तेरे नित नित संवरूं, खुली एक किताब रे,
स्नेह सुधि से सुरभित श्वासें, हृदय का श्रृंगार हैं
प्रश्न पहेली सी थी मैं , तू हर प्रश्न का जवाब रे,