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Payal Sawaria

Abstract

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Payal Sawaria

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प्रमाण दो

प्रमाण दो

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कलयुग के इस दौर में मनुज 

कम से कम

अपने जीवंत होने का प्रमाण तो दो।


खण्ड खण्ड होती मानवता के 

अब भी शेष होने का प्रमाण तो दो।

शनैः शनैं अल्प होती इंसानियत के

खुद में मौजूद होने का प्रमाण तो दो।


वक्त की रेत पर फिसलती नीयत में 

अच्छाइयों के पदचिन्हों के होने का प्रमाण तो दो। 


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