जीवन बेहाल हो गया
जीवन बेहाल हो गया
देखो ना!
कोरोना को आये एक साल हो गया
जीवन कितना बेहाल हो गया।
कितनी ही जिंदगी
वेंटिलेटर पर दम तोड़ गयी,
रोजगार की चाह में युवाओं
के संघर्ष की कहानी
पटवारी से रीट के डिब्बों में
बैठी गतंव्य को झांकती रह गयी।
बच्चों का मासूम बचपन
हाथों में मोबाइल थामे 'शानी'
आनलाइन पढा़ई की भेट चढ़ गया
डर-डर के जनजीवन मास्क के
सांये में सांसे लेता रह गया।
देखो ना !
कोरोना को आये एक साल हो गया
जीवन कितना बेहाल हो गया।
एक तरफ गैस,पैट्रोल की
कीमतों का स्तर उच्च हो गया
दूसरी तरफ गरीबी का स्तर
और भी निम्न हो गया।
कोरोना के भय से
पीकर अमृतगिलोय
हर एक जन आयुर्वेद से जुड़ गया
लॉक डाउन के दिनों में
स्वतंत्र जीवन घुटन की ओर मुड़ गया।
देखो ना !
कोरोना को आये एक साल हो गया
जीवन कितना बेहाल हो गया।