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Payal Sawaria

Tragedy

5.0  

Payal Sawaria

Tragedy

लाचार

लाचार

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ग़रीब की आज झलक देखी बीच बाजार

सिलवट पड़ी ललाट पर देखी कई हजार 

भूख मिटाने के लिए आँख दिखी लाचार।। 


लाचार आँख में बसी थी भोजन की प्यास

जीवन शैय्या पर लिये क्षणिक सुखों की आस

सोयी पड़ी थी कब से वो अर्धनग्न जिंदा लाश।।


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