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Payal Sawaria

Abstract

5.0  

Payal Sawaria

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छाँव देता वृक्ष है माँ

छाँव देता वृक्ष है माँ

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रे मानव! नौ मास जिसकी गर्भ में तू पला,   

योनि से जिसकी बालक बन तू पैदा हुआ,     

वक्ष से जिसके स्तनपान कर तू बडा़ हुआ।     

तेरे रोपण से लेकर जन्म तक              

जिसने असहनीय दर्द सहा,               

उस माँ को तू क्या शब्दों के तराजू में तोलेगा

भला जिसे खुद ईश्वर भी ना परिभाषित कर सका।   

वो ममता और त्याग की छाँव देता वृक्ष है माँ,    

नारी का सबसे अनुपम रूप है माँ। 



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