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Payal Sawaria

Abstract

4.8  

Payal Sawaria

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धूल बन पीछा करते सतरंगी पल

धूल बन पीछा करते सतरंगी पल

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वो सतरंगी पल

धूल बन आज भी पीछा

करते रहते हैं प्रतिपल।

वो जीवन की पगडण्डी

पर एक दूजे का हाथ थामें 

रिश्ता बढ़ता रहा हर क्षण

डगमग न हुये कदम हमारे

चाहे आये हो लाख तूफान भीषण।

इंद्रधनुष सा रंगीन हो 

सजता संवरता रहा तेरा मेरा जीवन

प्रेम के झरनों में भीग एक दूजे से 

जुड़ता रहा आत्माओं का बंधन।



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