पंचतत्वों की देह
पंचतत्वों की देह
क्षणभंगुर से जीवन
की क्यों है इतनी खेर
ज्ञात है ये मर्म
कि है पंचतत्वों की देह
वो भी ईश्वर की देन
जिसका तय है मृत्यु से मेल
फिर क्यों है हर एक
मोह में बंधकर
यहां पूछता फिरता
भगवान क्यों हो रहा
सृष्टि पर ये सब फेर।
